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गीता जी का सार/The Essence Of Gita Ji

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 गीता जी का सार श्रीमद्भगवद्गीता की पटकथा लगभग 5500 वर्ष पूर्व श्री वेदव्यास जी द्वारा लिखी गई थी और श्री कृष्ण जी में प्रवेश करते हुए यह बात ब्रह्म, केशर पुरुष यानी ने कही थी। भगवान काल। इससे पहले के लेख में विस्तार से बताया गया है कि श्रीमद् भगवद् गीता का ज्ञान किसने दिया? साक्ष्यों के टुकड़ों ने यह सिद्ध कर दिया है कि भगवान काल (केशर पुरुष/ज्योति निरंजन Lord) ने महाभारत के दौरान युद्ध के मैदान में योद्धा अर्जुन को पवित्र गीता जी का ज्ञान दिया था । श्रीमद्भगवद्गीता का ज्ञान देने में श्री कृष्ण जी की कोई भूमिका  है। इसमें पूरी भूमिका काल  BHI की है। केशर पुरुष जो 21 ब्रह्मांडों के मालिक हैं। कृपया पढ़ें: क्या-भगवान-कृष्ण-वास्तव में सर्वोच्च-भगवान? उपरोक्त जानकारी के आधार पर हमें सबसे स्थायी प्रश्न के उत्तर को समझने का प्रयास करना चाहिए; सच्ची संदेश क्या है जो पवित्र श्रीमद् भागवत गीता भक्तों को प्रदान करता है? आइए जानते हैं क्या है श्रीमद्भगवद्गीता का सार? गीता अध्याय 7 श्लोक 18 में गीता के ज्ञान दाता ने अपनी उपासना बताई है, उसकी प्राप्ति कमतर है। उन्होंने इसे सस्ता इसलि...

जानिए भारत के इन प्रसिद्ध स्मारकों के बारे में, जिन्हें महिलाओं ने बनवाया है

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 पुराने जमाने में महिलाएं इतनी सशक्त नहीं थीं जितनी आज हैं। आज की महिलाएं बाहर निकल कर काम कर रही हैं और पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। जबकि पहले ऐसा नहीं था। इतिहास में भी हमने कई वीरों की गाथा सुनी या पढ़ी है, जिसमें बहुत कम शक्तिशाली वीरांगनाओं के नाम आते हैं। युद्ध स्थल पर भी पुरुष जाते थे और महिलाएं घर में ही रहती थीं।  भारत में ऐसे कई स्मारक हैं जिनका निर्माण भी राजाओं और राजकुमारों द्वारा किया गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उस जमाने की महिलाओं ने हमारे देश के कुछ प्रसिद्ध स्मारकों को बनाया है? जी हां, देश में कुछ ऐसे स्मारक हैं जहां आप घूम कर आए होंगे लेकिन आपको ये नहीं पता होगा कि इन स्मारकों को महिलाओं ने बनवाया है। इसी कड़ी में आइए जानते हैं भारत के उन प्रसिद्ध स्मारकों के बारे में, जिन्हें महिलाओं ने बनावाया है.. इतिमद-उद-दौला, आगरा आगरा के ताज महल के बारे में सबको पता होगा। इसे किसने, कब और किसके लिए बनवाया गया ये सब जानते होंगे, लेकिन आगरा में ही एक मकबरा है ''इतिमद-उद-दौला'' जिसके बारे में कम लोग ही जानते होंगे। काफी मेहनत से तैयार किया...

दशहरा 2021: जानिए क्या है रावण के 10 सिरों का रहस्य, किन बुराइयों का प्रतीक है ये! Dussehra 2021: Know what is the secret of 10 heads of Ravana, what evils they symbolize

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  हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस साल दशहरा पर्व 15 अक्टूबर 2021 शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था और देवी दुर्गा ने नौ रात दस दिनों के बाद महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी, इसलिए इस त्योहार को सत्य की जीत के रूप में मनाया जाता है। झूठ। दस सिर होने के कारण रावण को दशानन भी कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रावण के दस सिर कैसे थे और वे किसका प्रतिनिधित्व करते हैं? तो आइए जानते हैं रावण के दस सिरों का रहस्य-  जब त्रिशूल धारी भगवान शिव हुए प्रसन्न  विजेता रावण भगवान शिव का परम भक्त था। एक बार उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की। जब भगवान शिव हजारों वर्षों तक रावण की तपस्या से प्रसन्न नहीं हुए, तब निराशा में रावण ने अपना सिर भगवान शिव /ब्रह्मको अर्पित करने का फैसला किया। भगवान शिव की भक्ति में लीन रावण ने अपना सिर भोलेनाथ को अर्पित कर दिया। लेकिन फिर भी रावण नहीं मरा, बल्कि उसकी जगह एक और सिर आ गया। ऐसा करके रावण ने भगवान शिव/ ब्रह्म को 9 सिर चढ़ाए। जब रावण ने दसवीं बार भगवान शिव को अपना सिर अर्पित करना चाहा तत्पश्चात  भगव...

जब भगवान श्रीराम ने अपने प्राण से प्रिय भाई लक्ष्मण को दिया मृत्युदंड/When Lord Shriram executed his beloved brother Lakshman with his life.

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  प्रभु श्रीराम जन जन के मानस में आस्था के केन्द्र हैं। पिछले साल 5 अगस्त को रामजन्मभूमि अयोध्या में उनके भव्य मंदिर के लिए भूमि पूजन हुआ था। भगवान श्रीराम का चरित्र और उनके आदर्श का पता हमें वाल्मीकि रामायण जैसे ग्रंथों से मिलता है। हम देखते हैं कि संपूर्ण रामायण का सार मर्यादा में रहकर वचन और कर्तव्यों का पालन करना है। इसके मुख्य किरदार भी भगवान श्रीराम थे। कहते हैं कि  भगवान श्री राम  ने अपने वचन का पालन करने के लिए अपने प्राण से प्रिय भाई लक्ष्मण को मृत्युदंड का आदेश दे दिया था। कथा का इसका प्रसंग उत्तर रामायण में भी मिलता है। क्या हुआ एकबार स्वयं काल के देव यमराज मुनि का वेश धारण कर भगवान श्रीराम के दरबार पहुंचे। तब उन्होंने भगवान श्रीराम से अकेले में वार्तालाप करने का निवेदन किया। तब उन्होंने कहा कि मैं आपसे एक वचन लेना चाहता हूं कि जब तक मेरे और आपके बीच वार्तालाप चले तो हमारे बीच कोई नहीं आएगा और जो भी आएगा, उसको आपको मृत्युदंड देना होगा। भगवान राम ने यमराज को वचन दे दिया भगवान राम ने अपने अनुज भाई लक्ष्मण को यह कहते हुए द्वारपाल नियुक्त कर दिया कि जब तक उनकी और य...

कौन थी मंथरा और क्यों रहती थी वह कैकेयी के साथ जिसके कारण भगवान राम को मिला वनवास ,Who was Manthara due to which Lord Rama got exile and why did she live with Kaikeyi

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 कौन थी मंथरा  और क्यों रहती थी वह कैकेयी के साथ  जिसके कारण भगवान राम को मिला वनवास  हिंदू ग्रंथ रामायण में श्री राम के वन जाने का मुख्य कारण दासी मंथरा थी। वाल्मीकि रचित रामायण में भी मंथरा की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका बताई गई है। लेकिन यह मंथरा वास्तव मैं कोन थी  जिसने दासी होते हुए भी अयोध्या नरेश के पूरे परिवार की गाथा बदल कर रख दी थी। इतना सब होने पर भी वह राज भवन में क्यों थी और रानी कैकेयी के साथ उसके होने की क्या वजह थी। जानते हैं इस बारे में. कैकेयी अश्वपति सम्राट की पुत्री थी। कैकेयी बहुत ही सुंदर, गुणी और वीरांगना स्त्री थी। इसीलिए वह राजा दशरथ को अपनी तोनों रानियों में सबसे ज्यादा प्रिय थी रामायण में वर्णित कैकेयी का विवाह राजा दशरथ से हुआ था तो दासी मंथरा मायके से उनके साथ आयी थी। जानते हैं कि मंथरा को कैकेयी अपने साथ क्यों लाईं थी और वह कौन थी। एक कथा के अनुसार राजा अश्वपति का एक भाई था, जिसका नाम वृहदश्व था। उसकी विशाल नैनों वाली एक बेटी रेखा थी, कैकेयी और रेखा बालपन से ही बहुत की अच्छी सखी थी। वह राजकन्या होने के साथ बहुत बुद्धिमति भी ...

महाभारत के युद्ध में अर्जुन ने अपने ही बड़े भाई को मारने के लिए क्यों उठा लिए थे शस्त्र?,Why did Arjuna take up arms to kill his own elder brother in the Mahabharata war?

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दुनिया का सबसे बड़ा महाकाव्य  महाभारत के युद्ध से जुड़े ऐसे कई रहस्य हैं, जिससे आज तक लोग अनजान हैं। एक ऐसा ही रहस्य है जब महाभारत युद्ध के 17वें दिन ही अर्जुन ने अपने ही बड़े भाई युधिष्ठिर को मारने के लिए शस्त्र उठा लिए थे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनके प्रिय भाई अर्जुन ने ऐसा क्यों किया था?  महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित 'महाभारत' की एक कहानी के अनुसार, कुरुक्षेत्र के मैदान में युधिष्ठिर और कर्ण के बीच युद्ध हो रहा था। सभी को इस युद्ध से बेहद उम्मीदें थीं कि तभी शस्त्र विद्या में माहिर कर्ण ने युधिष्ठिर पर एक जोरदार वार किया, जिससे युधिष्ठिर बुरी तरह घायल हो गए। कर्ण चाहता तो उस समय युधिष्ठिर को मार सकता था, लेकिन माता कुंती को दिए वचन के मुताबिक उसने युधिष्ठिर को जीवित छोड़ दिया। जब नकुल और सहदेव ने अपने सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर की बुरी हालत देखी तो वो उन्हें जल्द ही युद्ध के तंबू में ले गए, जहां उनकी मरहम-पट्टी की गई। उधर, अर्जुन और भीम अभी भी युद्ध में कौरवों की सेना से संघर्ष कर रहे थे।  धनुर्धर अर्जुन को युधिष्ठिर की हालत के बारे में पता नहीं था। युद्ध भूमि में जब उ...

शारदीय नवरात्रि : माता के 9 रूपों के 9 रहस्य, आप भी नहीं जानते होंगे/Sharadiya Navratri: 9 secrets of 9 forms of mother Durga, you may not even know

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  नवरात्रि में माता दुर्गा जी के 9 स्वरूप की पू्जा होती है। इसीलिए नवरात्रि के इस त्यौहार को नवदुर्गा भी कहते हैं। आओ जानते हैं माता के इन 9 रुपों के 9 रहस्य। जो महिल या पुरुष माता के इन 9 रूपों के रहस्य को समझ लेते हैं, मानो उसका जीवन सफल हुआ समझो। 1. शैलपुत्री :  पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण पार्वती माता को शैलपुत्री भी कहा जाता है। यानी निश्‍चित ही किसी भी स्त्री का पहला परिचय उसके पिता से ही होता है। पिता के घर रहकर महिलाएं बहुत कुछ सीखती हैं। माता पार्वती नेभी बी 2  ब्रह्मचारिणी:  ब्रह्मचारिणी अर्थात जब उन्होंने तपश्चर्या द्वारा शिव को पाया था। निश्चित ही एक न एक दिन हर स्त्री को अपने बाबुल का घर छोड़कर उसे अपने पति के घर जाना ही होता है। 3. चंद्रघंटा :  जिनकेमाथे पर चंद्र केेआकार का तिलक  हैै उसका प्रतीक है कि माता अपने पति शिव जिन्होंने चंद्र धारण कर रखा है, वे भी उनके समान ही उनके जैसी हो चली है। हर पत्नि को अपने पति का इसी तरह साथ देना होता है। 4. कूष्मांडा :  ब्रह्मांड को उत्पन्न करने की शक्ति प्राप्त करने के बाद उन्हें कूष्मांडा कह...

राजा मिहिर भोज कौन थे, जानिए 10 रोचक बातें

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