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पौराणिक कथाओं के रहस्य में सवालों का झंझावात
देवलोक इस शब्द में ही इतने रहस्य और इतना कौतुहल छुपा हुआ है. जिसका हिसाब आदि काल से कोई नहीं लगा सका.
देवलोक इस शब्द में ही इतने रहस्य और इतना कौतुहल छुपा हुआ है. जिसका हिसाब आदि काल से कोई नहीं लगा सका. इस अकेले नाम और इससे जुड़े तमाम किस्सों में तिलस्म ही तिलस्म है, जो पढ़ने, सुनने और समझने की कोशिश करने वालों को हरदम अपनी ओर खींचता है. इस कौतुहल का सबसे रोचक और दिलचस्प पहलू तो ये है कि इस रहस्य की एक भी पर्त खोलने की कोशिश करने का मतलब है, सवालों का ऐसा बवंडर पैदा करना, जिसे थामना मुश्किल ही नहीं करीब करीब नामुमकिन हो जाता है
किसी भी किस्से और कहानियों में सवालों का सिलसिला अक्सर उस मोड़ से पैदा होता हैं, जहां से उस किस्से या कहानी के नायक नायिकाओं और उनकी योग्यता का विकास शुरू होता है.
क्या कभी सोचा है कि रावण के बगैर रामायण की कल्पना तक नहीं हो सकती, महाभारत की शुरूआत से बहुत पहले कंस के बगैर कृष्ण का कोई वजूद ही नजर नहीं आता और शकुनि के बिना महाभारत के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता. प्रेम के देवता कामदेव और शिव की तपस्या का रोचक प्रसंग न जाने कितने मन में सवाल खड़े करता है, जिनके जवाब देने में या तो शब्द बौने पड़ जाते हैं, या फिर अधूरी जानकारी जवाब का रास्ता रोक कर खड़ी हो जाती है.
पुराण और वेद के किस्से सुनते वक्त कई बार मन में गरुण और अरुणि के जन्म का रहस्य सामने सवाल बनकर खड़ा दिखाई देता है. इनसे जुड़ी हुई कथा का देवलोक के रहस्य से क्या लेना देना है.
विनता का पुत्र होने के नाते गरुड़ दास बनकर पैदा हुआ था, क्योंकि उसकी मां नागों की दासी थी. गरुड़ ने अपने स्वामियों से से पूछा कि वह किस तरह अपने को मुक्त करा सकता था. इस रहस्य से जुड़ा सारा किस्सा क्या है. इंद्र के सारथी मातलि की बेटी गुणकेशी का नाग सुमुख से प्रेम कीकथा और इंद्रलोक के रहस्य का आपस में क्या मेल है. ये जानने की परम इच्छा पैदा हो जाती है. लेकिन फिर भाषा की अड़चन इस कदर आड़े आकर खड़ी होती है कि रहस्य को समझने वाले उत्साह पर पल भर में पानी पड़ जाता है.
देवदत्त पटनायक को पौराणिक कथाओं का विशेषज्ञ माना जाता है
और बीते एक सालों के दौरान उनकी लेखन यात्रा ने ऐसा वातावरण तो दे ही दिया है जो इस बात का एहसास करवा सके कि उनकी कलम ऐसे कई सवालों के जवाब देने में सक्षम है, जिन सवालों के जवाब की तलाश के लिए न जाने कितने लोग इधर उधर भटकते दिखाई दे रहे हैं.
ऐसे ही सवालों के चक्रव्यू में फंसे लोगों को उनके जवाब जवाब तक पहुंचाने के लिए एक पहल का सिलसिला शुरू हुआ है, जिसमें सौ साल से ज्यादा पुराना प्रकाशन घराना, राजपाल है तो नए चलन से बाजार को अपने काबू में करन की काबिलियत रखने वाला अमेजन डॉट काम सहयोगी बने हैं.
क्या अजीब इत्तेफाक है कि देव और पौराणिक कथाओं और उससे जुड़ी मीमांसाओं को जागरूक होने को लालायित लोगों के नजदीक ले जाने का ये शायद सबसे नया तरीका होगा. असल में कहा जाए तो ये एक लेखक को उसके असली और सार्थक रुप में पाठकों तक पहुंचाने की एक पहल की गईइस शुरूआत का सबसे रोचक पहलू यही है कि इसके जरिए लेखक और उसके पाठकों के बीच एक अनूठा मगर दिलचस्प रिश्ता कायम होता है, जिसकी शायद किसी भी लेखक को जरूरत होती है
धन्यवाद 🙏🙏
Ancient World 369
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